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|| बलिदान की पराकाष्ठा - कोठारी परिवार ||
आप में से कितनो ने कलकत्ता के कोठारी बन्धुओ के बलिदान की अमर गाथा सुनी है।
आईये जाने इन सच्चे बलिदानीयों के बारे मे ।
23 वर्ष का राम कोठारी और 21 वर्ष का शरद कोठारी 22 अक्टूबर 1990 को श्री राम जन्मभूमि कारसेवा हेतु कलकत्ता से अयोध्या के लिए चले।
बहन पूर्णिमा, जिसका विवाह 8 दिसम्बर को होना था, माता सुमित्रा और पिता हरी लाल को यह कह दोनों बजरंगी घर से निकले के 2 नवम्बर को कार सेवा समाप्त कर घर लौट आएंगे।
माँ ने दोनों को विजय तिलक लगा कह कर , "बेटों घर आना तो मन्दिर बना कर ही आना अपितु नही आना " । धर्म मार्ग पर भेज दिया।
27 अक्टूबर को राम कोठारी द्वारा लिखित पत्र परिवार को मिला जिसमे लिखा था ,"अधिकाँश कार सेवको को मुग़ल सराय रेलवे स्टेशन पर ही मुलायम सिंह की समाजवादी सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया" ।
परन्तु भाग्यवश दोनों कोठारी भाई पुलिस को चकमा दे पैदल ही अयोध्या की ओर बढ़ चले है। कुछ दिन बाद, 2 नवम्बर, को पर तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार ने पुलिस को निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति दे दी।
इसके बाद उ.प्र.की पुलिस ने सैकड़ों कारसेवकों को घर से निकाल-निकाल कर गोली मार दी।
इसी क्रम में हैवान बनी पुलिस ने पहले छोटे भाई शरद कोठारी को घसीटते हुए कमरे से बाहर किया और सिर पर बंदूक तान दी। यह देखकर बड़ा भाई राम कोठारी बाहर निकला और पुलिस वालों को ललकारा, "मेरे छोटे भाई को छोड़ दो, मारना ही है तो मुझे मार दो।" किंतु पगला गए पुलिसकर्मियों पर इस करुण पुकार का कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने दोनों भाइयों को गोली मार दी और वे दोनों कारसेवक बलिदान देकर प्रभु राम के प्यारे हो गए ।
अपने धर्म और अपने प्रभु श्रीराम के लिए बलिदान होने वाले इन दोनों भाइयों की मृत देह जब कोलकाता पहुंची तो
कोठारी परिवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने सूचना दी कि दोनों कोठारी बन्धुओ- राम और शरद को उन्होंने गोलियों से छलनी कर मार डाला है और दोनों की लाशों को कलकत्ता भेजा जा रहा है।
जब कोठारी बन्धुओ के शव कोलकत्ता पहुंचे तो पूरा बंगाल उमड़ पड़ा और दोनों बलिदानी भाइयो को छलकते नैनो से विदा किया।
माता पिताजी ने कहा अब मेरे पुत्रों का बलिदान सार्थक हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि एक बार अयोध्या जाकर मन्दिर के कार्य में हाथ बंटाना चाहते है । इसलिए मन्दिर निर्माण कार्य तुरन्त शुरू हो।
क्या आप विश्वास करेंगे ??
6 दिसम्बर 1992 को जब पवित्र श्री राम जन्मभूमि मे कारसेवा वक रही थी तो कोठारी बन्धुओ की माता सुमित्रा देवी और पिता हरी लाल अयोध्या में कारसेवा कर रहे थे।
शत - शत प्रणाम कोठारी परिवार के श्री चरणों में

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